अंतरिक्ष में बम फोड़ने कि तैयारी है, आखिर क्युं किया जा रहा ऐसा। Earth Asteroids and NASA

श्री अक्षय भट्ट
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P - 372
DATE - 02 JAN 2024

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पृथ्वी(Earth) एक परिचय 

पृ(caps)थ्वी सौरमंडल का पांचवा सहसे बड़ा ग्रह है, यह सभी आठ ग्रहों में अनोखा ग्रह है, क्युंकि यहां जीवन संभव है, जीवन के अनुकूल वातावरण विद्यमान है। पृथ्वी का अक्ष, अपने तल के साथ 23.5 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है। इसका एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है। इसका विषुवतीय व्यास 12756 किलोमीटर तथा ध्रुवीय व्यास 12713.6 किलोमीटर है, दोनो व्यासों का अंतर 43 किलोमीटर है। पृथ्वी का औसतन व्यास 12742 किलोमीटर है, इसकी गणना सर्वप्रथम इरैटॉस्थानिज ने किया था। 


पृथ्वी के दैनिक गति और वार्षिक गति का वर्णन 


पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किलोमीटर प्रति सेंकेण्ड के रफ्तार से गति करता है। जिसमें उसे 23 घंटा, 56 मिनट, 4 सेंकेण्ड का समय लगता है। इस प्रकार कि गति को दैनिक गति कहा जाता है, इसी गति के कारण दिन और रात होता है, यदि पृथ्वी घुमना बंद कर दे, तो दिन और रात कि प्रक्रिया नहीं होगी। पृथ्वी सुर्य कि एक परिक्रमा पुरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट और 46 सेकेंण्ड का समय लगता है। अर्थात् 365 दिन लगभग 6 घंटे का समय लगता है, जो चार साल बाद लीप ईयर बनकर एक दिन बढ़ कर 366 दिन का  वर्ष हो जाता है, जिसे लीप ईयर कहा जाता है। 

ऋतु परिवर्तन पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुके रहने के कारण एवंम सु्र्य के परिक्रमा करने के कारण होता है, इस प्रकार कि गति को वार्षिक गति कहा जाता है। पृथ्वी के करीब तीन भाग पर जल कि उपस्थिती के कारण इसे नीला ग्रह कहा जाता है। 


क्षुद्र ग्रह(Asteroid) क्या है?

मंगल एवं वृहस्पति के कक्षाओं में पाए जाने छोटे - छोटे अकाशिय पिंड जो सुर्य कि परिक्रमा कर रहे है, उन्हें क्षुद्र ग्रह कहा जाता है। खगोलशास्त्रियों के अनुसार, इनका निर्माण ग्रहो के विस्फोट से हुआ है। जब क्षुद्र ग्रह अचानक पृथ्वी से टकराता है, तो पृथ्वी पर एक विशाल गर्त बन जाता है, महाराष्ट्र का लोनार झील इसी टक्कर का एक उदाहरण है। 

Is there an asteroid coming to Earth right now?


Has a asteroid ever hit Earth?


Is asteroid harmful to Earth?

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What if a 1 km asteroid hit Earth?

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आजकल टेलिविजन अखबार आदि के माध्यम से अक्सर यह सुनने को मिलता है, कि एक Asteroid पृथ्वी कि तरफ आ रहा है, और नासा उससे बचने का तरिका ढुंढ रहा है। यह कभी भी हमारे धरती से टकरा भी सकते है, जिसकी चिंता हमें सताने लगती है। हाल में एक नया एस्टेरॉयड कि पहचान कि गई है, जिसका नाम एस्टेरॉयड बेन्नू है, यह करीब करीब 524 मीटर चौड़ा है, और यह लगातार धरती कि तरफ बढ़ रहा है, जरा सोचिये कि अगर यह हमारे धरती से टकरा जाता है, तो क्या होगा, पता नहीं कितनी अबादी और शहर गायब हो सकते है। पुरी दुनिया के वैज्ञानिक इसको लेकर परेशान है, वो सोच रहे है, आखिर इससे कैसे बचा जाए, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है, जब यह एस्टेरॉयड हमारे पृथ्वी से टकराएगी, तो करीब करीब 1200 मेगाटन ऊर्जा कि उत्पति होगी, जो कई सारे परमाणु बम से ज्यादा विनाशकारी होगा। यानी पुरी पृथ्वी ही समाप्त हो सकती है, ऐसी आशंका जतायी जा रही है। पुरे दुनिया के स्पेस एंजेसी इसकी दिशा को मोड़ने के प्रयास में लगे हुए है। अमेरिकी अतरिक्ष एंजेसी नासा का इसमें मुख्य भुमिका निभा रही है।  नासा ने इसके बारे में बेहतर जानकारी पाने के लिए बेन्नू उल्‍कापिंड का सैंपल मगवाया है, जिसे अध्ययन किया जाएगा। जरा सोचिये अगर इस ऐस्टेरॉयड को लोखों किलोमीटर ऊपर ही विस्फोट के द्वारा खत्म कर दिया जाए, तो कितना अच्छा होगा, मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है, दुनियाभर के वैज्ञानिक इसे विस्फोट करने के लिए प्लानिंग कर रहे है। और उम्मीद है, कि ऐसा किया भी जाएगा।

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लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी (LLNL) कि नयी प्रणाली

न्‍यूयॉर्क पोस्‍ट की पब्लिश रिपोर्ट के अनुसार, लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी (LLNL) के वैज्ञानिकों के द्वारा एक ऐसी प्रणाली तैयार कि गयी है, जो बताएगा कि कौन सा ऐस्टेरॉयड पृथ्वी के समीप आ रहा है, कितना दूर है, इसकी विशालता कितनी है, इसे पृथ्वी तक आने में कितना समय लगेगा और क्या इसे लाखों किलोमीटर दूर अतरिक्ष में परमाणु बम के हमले के द्वारा नष्ट किया जा सकता है?  यह प्रणाली इस बात कि भी जानकारी दे सकती है, कि क्या इस एस्टेरॉयड कि दिशा में परिवर्तन किया जा सकता है, या नहीं।ये सारे रिपोर्ट LLNL नासा को देगा ताकि नासा समय अनुसार उचित कार्यवायी कर सके।


कई माह पहले पता चल जाएगा।

प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध पत्र वैज्ञानिकों को यह समझनें मदद दे सकता है, कि आखिर इस तरह के एस्टेरॉयड से निपटने का कुछ और भी तरिका हो सकता है, या नहीं। वैज्ञानिको का कहना है, कि अगर हमें कई महीने पहले यह पता चल जाए कि कोई उल्का पिंड हमारे तरफ आ रहा है, तो हम उसको परमाणु बम के हमले के द्वारा नष्ट कर सकते है। यह इतना दूर होगा कि इसका कोई भी प्रभाव धरती पर नहीं आएगा, तथा इसके टुटे हुए भाग अंतरिक्ष में ही घुमते रहेगें।



क्या हुआ जब अमेरिका ने फोड़ा था परमाणु बम

अमेरिका ने सोवियत संघ के एक धमाके के जवाब में धरती से 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में परमाणु बम का विस्फोट किया था, यह 09 जुलाई 1962 कि घटना है, जिसका नाम ऑपरेशन फिशबॉल था, इस अभियान के तहत् अमेरिका को पांच परमाणु बम का विस्फोट करना था।इसमें सबसे भयानक विस्फोट स्टारफिश प्राइम नामक परमाणु बम का था, जिससे कि 1.4 मेगाटन ऊर्जा मुक्त हुई थी, कई किलोमीटर इलाके तक आसमान में रोशनी दिखाई पड़ी थी और एक पूरे इलाके का समुचा बिजली उपकरण खराब हो गया था। इस विस्फोट का मकसद किसी एस्टेरॉयड को नष्ट करना नही था, बल्कि आप इसे एक परीक्षण के तौर पर देख सकते है, जिसे अमेरिका ने विश्व एवं सोवियत संघ पर अपना दबादबा दिखाने के उद्देश्य से किया था। 


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