जिंदगी जीने का सलीका।

श्री अक्षय भट्ट
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P-115
Date - 09 Oct 2021




कभी कभी मन ऊब जाता है, उस हरेक रोजमर्रा के चीजों से, जो हमारे व्यक्तित्व अथवा जीवन पर व्यापक प्रभाव डालते है। मन करता है, अब जीना छोड़ दे, अथवा इन सब से कहीं दूर, भाग जाए पर ऐसा कर नहीं पाते, काफ़ी मानसिक तनाव होती है, फिर भी इसी में घिसते रहते है। और अन्तत: नकारात्मकता के चपेट में आ जाते है।


नकारात्मकता के प्रभाव में आने के पश्चात बेवजह फालतु के तथ्य दिमाग में आते है, और फिर शुरू होता है, मानसिक तनाव। दिन प्रतिदिन मन बेचैन होने लगता है, किसी चीज में मन नहीं लगता है, और एकाग्रता नहीं के बराबर हो जाती है।


मैं आपको इन सब बातों में नही उलझना चाहता की इसका उपाय क्या है, क्योंकि इस से निजात पाने का उपाय सिर्फ आप ही कर सकते है। 

कोविड के स्थिति में सम्पूर्ण विश्व में लॉकडाउन का माहौल रहा, और तभी यह मानसिक स्थिति अधिकतर लोगों के दिमाग में घर कर गई। इसे मौका मिला, और हमने खाली बैठकर, फालतु के समय काट कर, इसको बेहतर मौका दे दिया जिसे की यह हमारे ऊपर हावी हो जाए। 

दोस्तों, आज के इस आधुनिक माहौल में, किसी के पास समय नहीं, मां बाप आस देखते रहते है, बेटे एवम बेटियों का पर उनके पास वक्त ही नहीं। 21 सदी के ये लोग मां बाप के बगल में बैठ कर मोबाइल, लैपटॉप आदि में व्यस्त रहते है, और सोशल मीडिया में लगे रहते है, पर जो उनके बगल में बैठा है, उनसे थोड़ा बात विचार करने का समय नहीं है।


संक्षेप में कहूं, तो इसी सभी कारणों से हम इस मानसिक तनाव में फस रहे है। ऑनलाइन प्लेटफार्म के अपेक्षा ऑफलाइन बात चीत सदैव ही उत्तम है। 

सौ का एक बात, इसका सिर्फ एक ही उपाय है, परिवार को समय दें, उनके साथ वक्त गुजारें, उन्हे एहसास दिलाएं की आप हमेशा ही उनके साथ है। 


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