ट्रांसफार्मर का क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं?

श्री अक्षय भट्ट
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P - 253
Date - 21 Jul 23

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ट्रांसफॉर्मर क्या है?


य(caps)ह एक ऐसी युक्ती अथवा उपकरण है, जो उच्च धारा या वोल्टेज को निम्न धारा या वोल्टेज में या फिर निम्न धार या वोल्टेज को उच्च धारा या वोल्टेज में बदलता है। इसका प्रयोग हमेशा प्रत्यावर्ती धारा(Alternating Current) वाले परिपथ में किया जाता है। यह एक वोल्टेज रेगुलेटर कि तरह धारा अथवा विभवांतर के मान में परिवर्तन करता रहता है। यह Self Induction के सिद्धांत पर कार्य करता है। 

ट्रांसफॉर्मर के प्रकार के बारे में बताएं?

Step Up Transformer 

इस प्रकार के ट्रांसफॉर्मर में प्राथमिक कुंडली में मौजुद लपेटों कि संख्या से अधिक द्वितीय कुडंली में लपेटों कि संख्या होती है। यह निम्न वोल्टेज अथवा धारा को उच्च वोल्टेज अथवा धारा में बदल देता है। इसका ट्रांसफॉर्मर अनुपात एक से कम होता है। 

Step Down Transformer 

इस प्रकार के ट्रांसफॉर्मर में प्राथमिक कुंडली में मौजुद लपेटों कि संख्या से द्वितीय कुडंली में  मौजुद लपेटों कि संख्या कम होती है। यह उच्च वोल्टेज अथवा धारा को निम्न वोल्टेज अथवा धारा में बदल देता है। इसका ट्रांसफॉर्मर अनुपात एक से अधिक होता है।

ट्रांसफॉर्मर कि बनावट के बारे में चित्र के साथ वर्णन करें?

चित्र में एक नरम लोहे का परतदार क्रोड दिखलाया गया है, जिस पर घना तांबे का तार लपेटा रहता है, इसे परतदार इसलिए बनाया जाता है, ताकि भवंर धाराओं से बचा जा सके। 

इसके एक भुजा में स्थित कुंडली को प्राथमिक कुडंली PP कहा जाता है। इसके साथ AC Main Input को जोड़ा जाता है।
 
इसके दुसरे भुजा में स्थित कुंडली को द्वितीयक कुंडली कहा जाता है, तथा इसे SS के द्वारा दर्शाया जाता है। इससे बाह्य परिपथ में धारा प्राप्त कि जाती है। 

ट्रांसफॉर्मर कि क्रियाविधी का वर्णन करें?

सबसे AC Main से धारा या वोल्टेज को प्राथमिक कुंडली में भेजा जाता है, इस कारण विद्युत चंबकिय प्रेरण कि Self Induction कि क्रिया होती है, और चुंबकिय फलक्स में परिवर्तन होता है, उत्पन्न फलक्स द्वितीय कुडंली से होकर गुजरती है, जिसके फलस्वरूप द्वितीय कुडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है, जिसे बाह्य परिपथ में प्राप्त कर लिया जाता है। 


ट्रांसफॉर्मर कि हानियां क्या क्या है, इसका चर्चा करें?

लौह क्षय 

इसमें लोहे के क्रोड पर तार लपेटा रहता है, भवंर धाराओं से बचने के लिए इसके क्रोड को परतदार बनाया जाता है। इसे ही लौह क्षय कहा जाता है। 

ताम्र क्षय 

चुकि तांबे के तार लेपेटे रहने के कारण विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव के कारण तार गर्म हो जाता है, जिसे कारण विभवातंर कम हो जाता है। इसे ही ताम्र क्षय कहा जाता है। इसे बचने के लिए तांबे का मोटा तार लगाना  ज्यादा बेहतर होगा। 

चुंबकिय फलक्स क्षय 

जब प्राथमिक कुडंली से धारा या वोल्टेज प्रवाहित किया जाता है, तो Self Induction के कारण चुंबकिय फलक्स में परिवर्तन होता है, तथा चुंबकिय फलक्स सभी दिशाओं में निकलने लगता है, जिससे चुंबकिय फलक्स कि बर्बादी होती है, इसे ही चुंबकिय फलक्स का क्षय कहा जाता है। इससे बचने के लिए प्राथमिक कुडंली के उपर द्वितीयक कुंडली को रख दिया जाता है। 

ट्रांसफॉर्मर का तेल 


ट्रांसफॉर्मर को ठंडा रखने के लिए अथवा लंबे समय तक बिना किसी रूकावट के धारा प्राप्त करने के लिए उसमें ट्रांसफॉर्मर तेल का इस्तेंमाल किया जाता है। यह अन्योनय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। 

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