साजन और सिर्फ उसकी अपनी बोबो(भाग -1)

श्री अक्षय भट्ट
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P-137
Date - 08 Aug 2022

साजन और सिर्फ उसकी अपनी बोबो(भाग -1)

रोजमर्रा की जिदगी में ऐसे ऐसे घटनाएं घटती रहती है, जिसका कोई अंदाजा भी नहीं हुआ करता है। इंसान कब मजबूर हों जाए और उसकी मजबूरी उस से क्या करवा दे इसका कुछ भी कोई अंदाजा नहीं लगा सकता। आज मैने आपके सामने एक ऐसे ही इंसान की कहानी का जिक्र करने वाला हूं।

यह घटना 2016 की होती है, चुकी ये इंसान भारतीय फौज का सिपाही होता है, तो वो रोज की तरह अपनी कर्तव्यों का पालन कर रहा था। प्यारी सी धूप निकला आई थी, पक्षीय चूचू की आवाज करके सूरज के आगमन की खुशियां मना रही होती है। इन सब के बीच ये सिपाही ड्यूटी खत्म करके घर की तरफ निकला, घर के नीचे अपनी प्यारी सी मोटरसाइकिल खड़ी की और दूसरे माले चला गया, कपड़े उतार कर हाथ मुंह धोया और बिस्तर की तरफ आराम करने की लिए बढ़ा। आंखे नींद से भरी हुई शरीर थकान से चूर चूर बिस्तर पड़ गया। कुछ देर आंख मूंदा सोचा की थोड़ा सो लिया जाए, पर नींद पता नही कहां गुम हो गई, थोड़ा मन लगाने के लिए वो मोबाइल निकला लेता है, उसके दोस्त ने एक एप्लीकेशन का लिंक शेयर किया होता है, वो इस एप्लीकेशन के बारे में नही जानता, इसलिए उसको चेक करने के लिए की आखिर ये है क्या? उसको वो प्ले स्टोर के माध्यम से डाउनलोड कर लेता है, सारे डिटेल्स डालने के बाद उसमे बहुत सारे ऑप्शंस दिखने लगते है, उसे समझ नही आता और एक दो क्लिक कर देता है, एप्लीकेशन का नाम था लिंकडिन। तब तक नींद आने लगी है, और वो सो जाता है। दोपहर में खाने के वक्त जब उसके दोस्त ड्यूटी से आते है, तो उनकी हल्ला गुल्ला शोर शराबा को सुनकर उसकी नींद खुल जाती है। हाथ मुंह धोकर पोत पाकशाला(मेस) में जाता है, थाली में खाना लेकर वापस आता है, और मोबाइल देखते हुए खाना खाने लगता है। वो देखता है, की उसको दो से चार संदेश पूर्णत अंग्रेजी में आई हुई है। उसकी अंग्रेजी थोड़ी तंग होती है, टूटी फुटी समझ और बोल लेता है। संदेश में लिखा होता है, की आपको जिससे बात करना है करें, मैं क्यों किसी के साथ आपका जान पहचान करवाऊं। वो फौजी इतनी सारी डांट मजे के साथ पढ़ लेता है, और बड़े प्यार से जवाब देता है, माफ कर दे मेरी मां, अब क्या बच्चे की जान लेगी। इसके जीवन में एक बेहतरीन मोड़ आने वाला था, जिसका अंदाजा भी शायद इस फौजी को नही था। फौजी के जीवन में और कोई नही था, अकेला जी रहा था, अचानक किसी ने सुबह शाम शुभकामना देना शुरू कर दिया, जवाब में वो भी कहने लगता है। लगाव बढ़ने लगता है, लड़की, फौजी को पूछती है, आपके पास कोई बीमा है, फौजी बहुत ही लापरवाह होता है, वो भविष्य के बारे में कुछ भी नही सोचता है, उसने जवाब दिया नही है। फिर वो कुछ सलाह देती है, फौजी मान जाता है, लड़की उसको उस से व्हाट्सएप नंबर पूछती है, जिसे की वो उसे बीमा से सबंधित जरूरी जानकारियां उसको दे सके। वो वैसा ही करती है, सब कुछ फाइनल हों जाता है, लड़की कहती है, उसको कुछ जरूरी दस्तावेज देना होगा और उसको आना होगा, फौजी उसे अपने जीवन से संबंधित चीज़े बताता है, की वो नही आ सकता, कुछ दिन रुकने पर वो आ सकता है, लडकी मान जाती है। व्हाट्सएप नंबर एक्सचेंज तो हो ही चुका होता है, तो वो लोग आपस में थोड़ा थोड़ा बात करना शुरू करते है, लगाव बढ़ता जाता है, और वो एक दूसरे से घुल मिल जाते है, धीरे धीरे फोन पर भी बात होना शुरू होता है। अभी तक दोनो में से कोई भी किसी को नहीं देखा होता है। और फोन पे बात होने के चार दिन बाद फौजी लड़की को सीधे शादी के लिए पूछ लेता है, लडकी कोई जवाब नही दे पाती, और बात को टाल देती है।

अर्ज किया है,

हमने ऐसी भी क्या खता कर दीं,
जो कबीले माफी नही,
तुमको देखा नही है, कई दिन से,
क्या यहीं सजा काफी नही

जब मोहब्बत एक दूजे को बिना देखे हों जाए, तो ये आकर्षण तो कभी नहीं हो सकता था, ये तो दिल से निकली आवाज थी, भले ही थोड़ी देर लगे पर सामने वाले तक पहुंचना पक्का था, ऐसा ही कुछ हुआ। वो कहता रहा, और लड़की हजार बहाने करने लगी, कारण देते हुए, मुद्दा खत्म करने में लगी थी, ऐसा इसलिए था क्योंकि उसने हाल में एक लड़के से धोखा खाया हुआ था, जो सिर्फ उसके शारीरिक शोषण चाहता था, सच्चा प्यार बेचारी ने कभी देखा ही नहीं था, अचानक से ये फौजी टपक पड़ा, उसके जिंदगी में। 

मोहब्बत एक ऐसी खुशबू है, जो फैलती चली जाती है, इसे रोक नही सकते, लड़के के दिल में भावनाए उमड़ रही थी, पर वो कुछ बाते करके, जैसे को लड़का हिंदू ब्राह्मण था और लड़की मुस्लिम थी, लड़की का उम्र लड़के से कुछ थोड़ा ज्यादा था। लड़का घर का लाडला था, मां का प्यार इतना मिला उसको की उसे लगता की उसे वो सब कुछ मिल सकता है, जो उसे चाहिए होगा। 

एक दिन दोपहर का समय होता है, लड़का लड़की को फोन करता है, दोनो के बीच बातचीत होती है, लड़का फिर से उसी टॉपिक पे बात करने लगता है, कहता है, सुनो मैं तुम्हे अपनी बीबी बनाना चाहता, तुम्हारे लिए हमेशा मैं पहले नंबर पे होना चहिए, तुम जो कहो वहीं होगा, मेरा दिल आज के बाद सिर्फ तुम्हारे लिए ही धड़केगा, नहीं तो धड़कना बंद करेगा। लडकी कहती है, मेरी उम्र आपसे ज्यादा है, वो कहता है, की मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, आपकी उम्र कुछ भी हो। लडकी कहती है, मैं मुस्लिम हूं आप हिन्दू शादी कैसे होगी, क्या कभी संभव होगा, लड़का तुरंत जवाब देता है, मेरी मां मुझसे बहुत प्यार करती है वो मुझे मना नहीं करेगी, लडकी कहती है, ठीक है, लेकिन जब तक हमारे परिवार नही मान जाते, हम शादी नही करेंगे। अगर दोनो परिवार नही माना तो हम अलग हों जाएंगे, लड़के को किसी भी कीमत पे वो लडकी चाहिए थी, उसने हां कर दिया। 

ये सारी कहानी तब की है, जब उन दोनो ने एक दूजे को देखा भी नहीं था। लडकी कहती तब ठीक है, हम आपको कल बताएंगे। 

लडकी की सबसे अच्छी दोस्त उसकी मां होती है, काफी सोचने के बाद करीब 11 बजे दिन में वो उस फौजी को हां कर देती है, फौजी खुशी में पागल हो जाता है, उनकी बात शुरू होती है, फौजी अपने भूतकाल की कुछ बाते उसको बताता है, अपने परिवार के बारे में कहता है। 

एक दूसरे में प्यार में इतना मशगूल हो गए, की बयां नही कर सकता कोई भी। सच तो ये है की बहुत कुछ लिख कर बयां नही किया जाता है, कुछ ऐसी चीजे भी है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है। 

कहानी को रोक कर थोड़े फौजी के बारे में बात कर लेते है, फौजी का नाम मैं यहां काल्पनिक बता रहा हूं, जो नाम उस लड़की ने उसे दिया।।। उसे वो साजन कहकर पुकारती, ये बात अलग है, की कभी कभी उल्लू भी कहती, पता है, उसने ऐसा नाम क्यों रखा था, क्योंकि फौजी सोता ही नही था, लेकिन जब से ये आई सब कुछ बदल कर रख दिया।

साजन का चरित्र निभा रहा जो फौजी होता है, 17 साल की उम्र में फौजी बन जाता है, जीवन में उसने कुछ देखा नही होता, बस इतना ही पता होता है, की दुश्मन को देखते गोली मार दो, इसी में तुम्हारी जीत है, और इस से बढ़कर कुछ भी नही है। घर में सिर्फ एक मां होती है, जो उसे बहुत प्यार देती है, मां के बाद जब ये लड़की उसको जिंदगी में आती है, वो उसे अपनी दुनिया बना लेता है, उसे छोड़ कर अब उसको कुछ नही दिखता और यहीं से अनहोनी की शुरुआत हो जाती है। 

अब लडकी की बात करते है, ये एक बहुत ही साधारण सी दिखने वाली, चेहरे पे सादगी लिए बहुत खूबसूरत थी, साजन उसको बोबो कह कर बड़े प्यार से पुकारता था। बोबो एक ऐसी चरित्र है, जो सब कुछ मां से पूछकर करती, अपना निजी सोच बहुत कम ही इस्तमाल करती, ऐसा समझो जैसे मां की बेटी हो। दुनियादारी के बारे में कुछ पता नहीं होता, बहुत भोली सी, प्यारी सी थी। खुदा पे बहुत भरोसा था, और यहा उल्टा था साजन को खुदा वगैरह में कोई दिलचस्पी नहीं थी। 

दोनो का चरित्र वर्णन खत्म होने से रहा इसलिए हम कहानी को आगे ले जाते हुए, आगे की बात करते है।
वो एक दूसरे को इतना प्यार करने लगे कि सारी हदें पार कर दी। शारीरिक संबंध की तो कोई बात ही नही जैसे दोनो की रूह जुड़ गई हो, बिल्कुल इस तरह को मिल गए हो पहचान में ही नहीं आ रही की कौन किसकी रूह हो। 

साजन कहने लगा की एक बार मिलो मेरे से तुम्हे देखने का बहुत मन कर रहा है, वो टालती रहती, फिर भी साजन इतने प्यार से कहता की वो मना नही कर पाती, और वो पहली बार मिलते है। आप यकीन नही करोगे इतने गधे कैसे हो सकते है, दोनो में किसी को कुछ नही पता था, बस बेहद प्यार कर बैठे थे, साजन ने उसको रेलवे स्टेशन पे मिलने को बुलाया, भला यहां कौन बुलाता है, वो अपनी भाई के साथ आई, पीठ पर बैग लिए साजन पेपर पढ़ रहा था, अचानक से मेहबूबा का फोन आता है, कहती है, मैं आ गई हूं, आप कहा हो। ये सुनते ही वो गेट की तरफ देखता है, और उसकी पहली नजर उसी पे जाती है, वो पीली रंग के एक बेहतरीन ड्रेस में होती है, और कयामत si लगती है, फौजी तो साला उधर ही चला गया, सोचने लगा ये लडकी मेरे से कैसे पट गई। यार क्या लग रही थी। मेरे पास शब्द नहीं की मैं।इजहार कर पाऊं। उसकी आंखे इस तरह खीच रही थी मुझे, कि उसकी आंखों में देखा नही जा रहा था, एक बेहतरीन मोहनी जैसी लग रही थी, जब वो मुस्कुराती तो लगता था की अब जिंदगी में कुछ भी नही चाहिए, सब कुछ मिल गया। 

उसका दुबारा फोन आता है, पूछती है, साजन आप कहां हो? साजन जवाब देता है, बस तुम्हारे सामने। फिर वो मिलते है, वो पास आती है, और हाथ पकड़ती है, प्यारी सी गुस्सा दिखाती है की आप कहा थे, कब से मैं ढूंढ रही थी, और बाजू पे प्यारी सी मुक्का मारती है। साजन उसके तरफ देखता है, और उसमे खो जाता है। 

इतना प्यार में गुम हो गए होते है, की साजन को पता ही नही होता की क्या चल रहा है आप पास। इतना सुकून महसूस कर रहा था, जिसे उसके आज तक महसूस नहीं किया। स्टेशन पे मौजूद के एक दुकान पे जाते है, एक कोल्ड ड्रिंक और कुछ चॉकलेट लेते है, तब तक एक छोटा लडका आता है, और मांगने लगता है, साजन उसे देख थोड़ा सा अजीब महसूस करता है, और उसे बिस्कुट की कोई एक पॉकेट पकड़ा कर भगा देता है। लडकी आज तक यहीं सोचती है की ऐसा उसके साजन ने छोटे बच्चे पे दया करके किया, लेकिन ऐसा नहीं था, उसे सिर्फ तुमको ही देखना था और बीच में कोई भी परेशानी नहीं चाहिए थी, वो प्यार से अपनी बोबो को चॉकलेट देता है, और वो उसके प्लेटफार्म तक छोड़ने जाती है, वो उसके पास में बैठ कर उसे देखता रहता है, लेकिन गधे को प्यार दिखाना ही नही आता, वो उसे माजा का बॉटल देता है, बोलता है तुम पी जाना, बोबो मना करती है नही आपको पीना है, वो कहता है, उठा कर फेंक दूंगा, बोबो उस बॉटल को हाथ में पकड़ती है, और कहती है, साजन ये आपको ट्रेन है क्या जो जा रही है? साजन कहता है, हां यार। वो लड़का जिसका घर रेलवे स्टेशन के बगल में है, चलती ट्रेन में चढ़ना उसके लिए आम बात, ऊपर से फौजी भी, पर उस दिन वो ट्रेन में चढ़ना भूल जाता है, अजीब तरीके से चढ़ता है, पर बच जाता है। साजन ने अपना होश खो दिया, जब बोबो उसके पास में थी। ट्रेन चलती रहती बोबो बहुत गुस्सा करती है, पर वो उसे मना लेता है। साजन घर जाने लगता है। और bobo हाथ हिलाते हुए घर चली जाती है।

जब इस तरह के प्यार के बाद, जब अलगाव मिलता है, तो लोग अकेले नहीं रह जाते बल्कि टूट कर बिखर जाते है। साजन अपनी bobo से कुछ इस तरह ही प्यार करने लगा था, अलगाव होने पर मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है, ऐसे में इंसान सामने वाले का पीछा करने लगता है, जिसे उसको वो मिलता है, जिसे उसने कभी उम्मीद भी नही की होती, वो लडकी जब अचानक से ये बोले की मुझे फोन ना करो, अजीब से तरह से बात करे, जो साजन छोड़ कर कुछ कहती ही नही थी वो नाम से पुकारे तो क्या बिताता है, इस बता का साजन को अंदाजा नहीं था, टूट तो पहले गया, अब बिखरना रह गया था, और यहीं हुआ, स्थिति कुछ ऐसी हुई की उसकी मानसिक स्थिति अनियंत्रित हो गई, विवेक काम करना बन्द कर दिया, अब वो खुद के कंट्रोल मे नही बल्कि लोग उसे नियंत्रित करने लगते है, साजन के साथ भी यहीं हुआ। परिवार छोड़ गया, उसकी दुनिया छोड़ गई फिर वहीं हुआ जिसका डर था वो टूट कर बिखर गया, और लोग थोड़ी सी प्यार से बात करके उसका इस्तेमाल करने लगे।

जब कोई चीज़ जरूरत से ज्यादा होने लगे, तो यह प्रकृति का व्यवहार है, की उसके अन्त शुरुआत हो चुकी होती है। साजन और bobo के प्यार में भी कुछ ऐसा ही होने वाला था, जिसका कोई अंदाजा किसी को नहीं था।

साजन घर पे जाता है, मां पापा, पूरे परिवार से मिलता है, मां और भाभी को अपनी bobo के बारे में बताता है, मां मुस्कुराती है, और कहती है, तुझे पसंद है, तो मुझे क्या लेना देना, तुझे ही तो रखना है, कर देंगे तुम्हारी शादी। यह सुन कर स्थिति और भी गंभीर होती जाती है, ये और भी करीब आ चुके होते थे। 

शायद ये बात bobo जानती थी, की कुछ गडबड होने वाला है, इसलिए उसने कभी साजन को प्यार से मिलने के लिए नही बुलाया, कभी भी कोई स्पेशल वाली फीलिंग्स का अहसास नही करवाया, चार पांच साल में ऐसा कभी ना हुआ, की bobo कहे की साजन आप आ जाओ आपको देखने का मन कर रहा है। साजन जब भी बात करता, लड़ता रहता बोलता तुम्हे देखने का बहुत मन कर रहा है, तुमको सीने से लगाना चाहता हूं, एक बार मिलो मेरे से। बहुत गुस्सा करने पर लड़ने पर वो मिलने को तैयार होती, और उसमे भी ये सुना के जाती की तुम्हारी वजह से मां से झूठ बोल कर आई हूं, थोड़ा अजीब सा लगता, पर साजन प्यार के इतना अंधा हो चुका था, की उसे उसके सिवा और कुछ भी दिखाई ही नहीं देता था। साजन अपनी bobo को सीने से लगाने के लिए तड़पता रहता, पर bobo मिलने को तैयार ही नहीं होती। 

वो कभी भी सोच कर नही मिलें, हमेशा रास्ते की ही मुलाकात रही, साजन जब भी उस से मिलने के लिए जाता, उसके घर के पास जाता, bobo घर से निकलती और साजन टैक्सी में बिठाकर उसको उसके दफ्तर तक छोड़ देता। आज भी साजन ये कहते हुए रो पड़ता है, की एक मुलाकात भी ऐसा नहीं था, जो चेहरे पे हसीं ला दे।  ये पूरी तरह से सच नहीं है, ऐसी भी बहुत सारे यादें है, जो चेहरे पे मुस्कान भी लाती है। सच कहूं किसी की गलती नही, माहौल ही कुछ इस तरह का बन गया था, की वो बेचारी चाह कर भी मिल नही पाती। 

कहानी को आगे ले जाते हुए कुछ और बात करते है, साजन के लिए bobo और bobo के लिए साजन बस इतनी ही दुनिया घूम रही थी। वो दोनो दिन भर एक दूसरे से बात करते रहते थे, अचानक से बीच में फौजी को जहाज पे जाने का आदेश मिलता है, वो पूरी तरह से उदास हो जाता है, bobo उसे समझती है, हिम्मत देती है, फौजी जहाज पे चला जाता है, जब वो दो तीन दिन भर समुद्र की लहरों से दूर होता है, तो अपनी bobo को फोन करने के लिए बेताब सा रहता है, नेटवर्क का मिलना भगवान के मिलने जैसा होता है, और एक ऐसी स्थिति बनती है, बेचारा ऊंचे पहाड़ों पर भी चढ़ जाता है, कैसे भी करके नेटवर्क मिल जाती है, बेहद ही खूबसूरत पल होता है, उन दोनो के लिए जब बेताब होकर तड़पते हुए बात किया करते थे, आज भी याद आता है, वो पल तो महसूस होता है, कितना सुनहरा था। जब कुछ देर तक बात करने के बाद राहत मिलती तो वो सारी चीज़े बताता है, जो उसने महसूस की होती है। फिर bobo पूछती समय पर खाते हो, साजन जवाब देता, हां। Bobo पूछती क्या खाया? साजन जवाब देने के देरी करता और वो समझ जाती की झूठ बोल रहा है, फिर क्या था, जाहिर सी बात है, bobo तो नाराज होना ही था और यहीं होता भी था।

फौजी एक बिखरा हुआ इंसान था, जिसे bobo ने समेत के एक कर दिया था, चलो साजन की जीवन के कुछ पल के बारे जानते है, साजन जब स्कूल में जाया करता था, तो बहुत होशियारी से गणित और विज्ञान सिर्फ दो ही विषयों को ध्यान से पढ़ता था, या फिर ऐसा कह सकते है, सिर्फ यहीं पढ़ता था, और स्कूल में मौजूद बाकी छात्र एवं छात्राएं इन दोनो विषयों को छोड़ कर बाकी सब पढ़ते थे। पापा भी फौजी थे, इसलिए ट्रांसफर के कारण एक जगह कभी वो पढ़ नही पाया, पापा ने देखा की इस से इसकी पढ़ाई पर काफी असर पड़ रहा है, तो वो उसे गांव पर भेज देता है, साजन यहां आता है, और इलाके के सबसे अच्छे स्कूल जो की एक मिशन स्कूल होता है, उसमे इसका नामांकन होता है, साजन जब पहले दिन स्कूल में पढ़ने जाता है, तो अजीब सा महसूस करता है, उसमे सभी गांव के लड़के और लड़कियां होती है, जिनका व्यवहार उसे पसंद नहीं आता। उसी वर्ग में एक भी पढ़ती है, जिसका नाम होता है, सोनाली पांडे। उसकी गणित और विज्ञान अच्छी नहीं होती और वो साजन से मदद के लिए पास में बैठने लगती है। दोनो में करीबी बढ़ती है और ये अच्छे दोस्त बन जाते है, साजन उस समय सातवां क्लास में पढ़ रहा होता है। सोनाली, साजन से काफी प्रभावित रहती है, और वो दोनो साथ में ही घूमते थे, पढ़ते थे। सोनाली साजन को लेकर बहुत ही सेंसिटिव हो गई थी, अगर वो किसी लडकी से बात तक करता तो झगड़ा होना पक्का था, उसके डर से बेचारा साजन किसी लडकी से बात भी नहीं कर पाता था, वक्त बीतता चला गया, दोनो जवान होते गए, और दोस्ती कब प्यार में बदल गया पता नही चला। आज भी वो दिन साजन को अच्छे से याद है, जिस दिन वो अपनी सोनाली के साथ पार्क में घूमने गया था, दिवाली का पर्व था, सभी लोग पटाखे फोड़ रहे थे, साजन को बहुत पसंद था, वो भी पटाखा फोड़ना चाहता था पर सोनाली को पसंद नहीं इसलिए वो उसे लेकर पार्क में आ गया था। सूरज डूबने के कगार पर था, ठंडी ठंडी हवा चल रही थी। दोनो एक साथ चल कर बातें कर रहे थे, और सोनाली सिर्फ इसे देखी जा रही थी, ये कहानी तब की है जब वो दोनो 11वी क्लास में थे, सोनाली एक प्यारी सूट में होती है, साजन छुप छुप कर उसे देखता रहता है, अचानक से सोनाली उसके सीने से लिपट जाती है, और कहती है, सुनो मेरे साजन बन जाओ न। साजन देखता रहता है, बस कुछ भी कह नही पाता। सोनाली, उसके सीने से लिपटी रहती है, और साजन देखता रहता है। पहली बार वो एक दूजे में गुम हो जाते है। सोनाली की एक दोस्त होती है, वो भी घूमने आए होते है, जिसका नाम नेहा सिंह होता है। वो पीछे से आवाज देती है, अरे हो गया अब बस भी करो। ये लोग अलग हो जाते है। सोनाली , साजन की जिंदगी बन गई होती है, साजन, वहीं करता जो सिर्फ और सिर्फ सोनाली को पसंद था। समय गुजरता जाता है, ये एक दूजे के करीब आते जाते है। कुछ दिन बाद सोनाली का पूरा परिवार कोलकाता आ जाता है, साजन उसे बहुत याद करता था, सोनाली के पास फोन होता है, पर साजन के पास नही होता। नेहा जो सोनाली की दोस्त थी, वो उसका फोन लेकर कभी कभी बात किया करता था, जिंदगी गुजारना मुश्किल सा हो गया था, साजन ने घर पर मां से कहा की मां मुझे फोन चाहिए, मां ने पैसे के लिए पापा को कहा, पापा कहा देने वाले थे, फोन के बदले दो चार गाली मिली।  जब ये बात सोनाली को पता चली, तो बहुत उदास हुई और उसने कहा वो फोन भेज देगी, ये बात साजन को मंजूर नहीं था, उसने कहा की नही अब सिर्फ और सिर्फ अपने पैसे से ही फोन लेगा। और फोन काट कर नेहा को दे देता है। कहानी तो बहुत लम्बी है, मगर मैं छोटा करके बता रहा हूं, साजन सरकारी नौकरी के लिए कोशिश करने लगता है, उसे एयरफोर्स बहुत पसंद होता है, पर दो बार उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है, फिर वो नौसेना में कोशिश करता है, और पहली बार में ही सेलेक्ट हो जाता है। सोनाली को जब ये पता चलता है, तो वो बहुत खुश हो जाती है। उन दोनो को इस बात का अंदाजा भी नहीं होता, की वो वो दूसरे से और दूर ही जा रहे थे। साजन कुछ दिन बाद ट्रेनिंग में चला जाता है, वहां उस मोबाइल फोन छीन लिया जाता है, पूरे दिन ट्रेनिंग करवाई जाती है, और रात में थककर वो सो जाया करता, सुनाई रोज लड़ती और वो बात नही कर पाता। एक दिन अचानक पता चलता है, की सोनाली बहुत बीमार है, जब वो उस से बात करता है, तो वो कहती है, मेरे साजन, मेरे करीब आ जाओ, लगता है, अब जी नही पाऊंगी। साजन कहता है, दो थप्पड़ लगेगा, 8 महीने हो चुके है, और 2 महीने बाद छुट्टी मिलेगा मैं तुम्हारे साथ पूरे एक महीना रहूंगा, फिक्र नही करना। वो गुस्से में बात करना बंद कर देती है। साजन इसको हल्के में लेता है, और जब वो एक महीने की छुट्टी पर आता है, तो सोनाली दुनिया छोड़ चुकी होती है।बहुत दर्दनाक पल होता है, सोनाली की भाभी साजन को एक चिट्ठी देती है, जो गुस्से मे सोनाली ने लिखा होता है।
उसमे लिखा होता है:

साजन! मैं तड़पती हुई मर रही हूं, आपके सीने से एक बार लिपटना चाहती थी, जो संभव नहीं होगा, ऐसा लगता है, जैसे इस तड़प के साथ ही जाना होगा, मुझे ब्लड कैंसर है, डॉक्टर ने घर ले जाने को कहा है, मेरे पास वक्त बहुत कम है। मेरे साजन! आप मेरे जाने के बाद खुश रहना, टूटना तो बिलकुल नहीं। मेरी याद आने पर आंखें बन्द करना और कहना सोनाली , मैं आपके पास रहूंगी। मेरे जाने के बाद किसी ऐसी वैसी लडकी के पास भी भटके तो बहुत मारूंगी। ऐसा न सोचना मैं दूर जा रही हूं, बस इतना है, की लिपट नही पाऊंगी। 

साजन! मैं बहुत तड़प रही हूं, पर तुम्हे इस बात का जरा से भी अंदाजा भी नहीं है, एक वक्त ऐसा आएगा, की आपको मेरी बहुत याद आयेगी और मैं आपके पास नही रहूंगी। फिर आपको इस बात का अंदाजा होगा, की आपके क्या खोया है।

सिर्फ और सिर्फ आपकी सोनू।

उस पत्र के आज भी सभी शब्द साजन को याद है। सिर्फ समय बदल चुका होता है।  

साजन उसका आखिरी पत्र पढ़ कर टूट जाता है, अकेले में बैठ कर रोता रहता है, उसके फोटो को देखते रहता है, बिल्कुल टूट सा जाता है। तीस दिन की छुट्टी कैसे भी गुजर जाती है, और वो वापस चला जाता है, अब मोबाइल तो होता है, लेकिन वो नही होती। 

साजन के इसी दर्द के दरम्यान bobo आती है, और बिखरे हुए साजन को समेटे हुए अपना बना लेती है। साजन भी bobo के प्यार में सोनाली की यादों खो जाता है, और धीरे धीरे सोनाली की यादे धुंधला हो जाती है।

Bobo के जिंदगी में भी एक लड़का होता है, जो bobo को इस बात का एहसास दिलाता है, की वो उसे प्यार करता है, bobo के दिल में भी उसके लिए भावनाए आ जाती है, पर उसे बाद में इस बात का अंदाजा होता है, वो बस इसका फायदा उठाना चाहता है, तो bobo उस से अलग हो जाती है, पर प्यार तो होता है, दिल bobo को काफी तकलीफ होती है। Bobo ने इस टॉपिक पर कभी ज्यादा कुछ नहीं बताया, इसलिए इस कहानी के इतना ही। Bobo प्यार से चिढ़ कर जी रही होती है, और जब साजन उसके जीवन आता है तो उसे संभालने के चक्कर में उसकी होकर रह जाती है। 

Bobo कहती रहती साजन मेरी साथ जो जुड़ता है, वो बहुत सारी समस्याओं में फस जाता है, आप मेरे करीब ना आओ। साजन कहता है, हम दोनो साथ मिलकर सब ठीक कर देंगे, सच तो ये है की साजन ने bobo की कभी भी नही सुनी। 

एक प्यार से बिछड़ने के बाद साजन, bobo को इतना प्यार देने लगा की, शब्दो में बयान करना मुश्किल है, कहीं ना कहीं दिल में एक कशक थी, जो वो bobo को प्यार देकर दूर कर रहा था, bobo भी बहुत प्यार करने लगी थी। Bobo ने अपने साजन को हमेशा संभाल कर रखा, हमेशा दिल करीब रखा, इतना की अगर वो इस रेंज से दूर चला जाता तो दोनो बेचैन से हो जाते, हां लेकिन साजन तो इतना बेचैन हों जाता है, की फिर से बिखरने लगता। Bobo इस बात से हमेशा डरती थी, की अगर मैं इस उल्लू को ना मिली, तो ये तो मर ही जायेगा।

Bobo और उसका उल्लू रात देर तक बात किया करते, फिर बहुत प्यार से एक मां की तरह bobo, अपने उल्लू को सुला देती। इतना गहरे मोहब्बत में थे दोनो की साजन सो जाता और bobo विडियो कॉल पर उसे देखती रहती। 

साजन की bobo एक बाहर काम करने वाली लडकी थी, उसमे उसकी कोई भी मजबूरी  नही थी, उसे नौकरी करना बहुत पसंद था, बड़े प्यार से वो अपने सारे काम करती। सुबह में जब वो ड्यूटी जाया करती और संध्या में जब वो घर आया करती तो साजन को वो सारी बाते कहती जो पूरे दिन में होता उसके साथ साजन प्यार से हा ओके हा ओके करता रहता, जब वो घर पहुंचती और  सीढ़ी चढ़ने लगती, तो वो हांफने लगती, फिर साजन कहता है, bobo घर आ गई, अब जान छूटी मेरी। यह सुनकर bobo गुस्सा करती और कहती yeeeeeeeeeee।
काफी मनमोहक पल होता है, पर समय बदल चुका है, वो कहती है, की वो अब मेरी नही रही। साजन कहता है, ऐसी तभी होगा, जब साजन दुनिया छोड़ देगा। ऐसा कहते ही दोनो लड़ते है। सच कहूं तो कहानी आज भी वहीं है, फर्क बस इतना है, कि वो मेरी ना होने का नाटक करती है।

अब कहानी को आगे बढ़ाते है, साजन और उसकी bobo उनको सिर्फ खुद से ही मतलब होता है, वो दिन भर लड़ते रहते, और प्यार भी बहुत करते, लड़ते झगड़ते समय गुजर रहा था, तभी साजन को डबल पर्सनालिटी को बीमारी होती है, वो जब इसके प्रभाव में आता है, तो अजीब तरह से व्यवहार करता है, बेचारी bobo डर जाती है, पर सब कुछ अच्छे से संभालती है, जब साजन इस बीमारी के प्रभाव में आता है, तो ऐसा होता है, जैसे सोनाली उसके बॉडी में आ गई हो। पर साजन की bobo कहा किसी की सुनने वाली चाहे जो हो जाए साजन का साथ नही छोड़ा, अपने साजन के लिए सबसे लड़ती रही, और अंत में साजन ठीक भी हो जाता है। साजन की bobo हर समय उसके साथ होती थी, अच्छे दिन हो या बुरे दिन, कभी अपनी साजन को या साजन ने अपने bobo को अकेले नहीं छोड़ा। 

पर एक बहुत ही गंभीर वक्त आता है, जिसमे bobo अपने सबसे प्यारे साजन अकेले इस बेदर्द दुनिया के बीचों बीच छोड़ कर चली जाती है, स्थिति कुछ ऐसा होता है, की इस समय साजन सबसे अकेला होता है, जो उसकी दुनिया होती है, वहीं खत्म हो जाती है, सबसे रिश्ते टूट चुके होते है, और उसके पास जीने का कोई जरिया नहीं बचता, वो पल आज भी साजन को याद आते है, तो आंखें नम हो जाती है। ऐसे समय में लोग सिर्फ हमदर्दी दिखाने लगते है। उसकी bobo कहती है, मैने कोई धोखा नही किया, मैने सब आपसे बता कर किया है, साजन सिर्फ एक बात उसे पूछ ना पाया की अगर कोई जाने की बात करे तो उसे कैसे रोकते है? साजन अपनी bobo को इतना प्यार करता होता है, की उसकी शादी होने वाली बात भी मान जाता है, वो अगर चाहता तो एक पल में रिश्ता तोड़वा सकता था।

एक प्रसंग बताता हूं, जिसको पढ़कर आपको इस बता का एहसास होगा की आखिर साजन ने bobo को क्यों नही रोका? आज साजन घर से वापस आ रहा था, उसने bobo को कहा की सुनो, आज खाना तुम्हारे साथ खाऊंगा, या फिर नही खाऊंगा, ऐसा हमेशा ही होता था, जीवन ऐसा कोई पल नही जिसमे bobo ने मिलना की इच्छा जाहिर की हो, उसको मेरे से मिलना यानी पहाड़ों का टूट जाना था, आज भी सोचता हूं, तो यहीं सब दिमाग में घूमता है, क्या इसमें सच में प्यार किया था? जब लोग मेरी कहानी को सुनते है, तो कहते है की bobo ने साजन से प्यार नहीं किया, पर ऐसा नहीं है, वो नादान थी, उसे कुछ पता नहीं था, अपनी मां की बेटी बनकर रही हमेशा, इसलिए उसे कभी प्यार करने ही नही आया। वो बचपन से अपनी भावनाओं को दबाती रही, जो उसका मन करता, दिल करता उसको करने में हजार बार सोचती, और यहीं कारण था, की अपनी भावनाओं को दबाते दबाते उसने खुद की भावनाओं को ही कुचल दिया, स्थिति आज ये बनी की जब उसे जीवन के सबसे बड़े फैसले पर अमल करना था उसने ये भी किसी और के ऊपर ही छोड़ दिया। बिना ये सोचे की इसका परिणाम क्या होगा। पता नही की वो खुश है या नही, पर साजन बरबाद सा हो चुका है। साजन को भी पता है, उसकी bobo खुश नही है, और लेकिन कभी बात होती तो वो आज भी यहीं कहती है, की मैं खुश हूं, साजन सोचता है, की शायद किसी और ने उसकी कमी पूरी कर दी, पर साजन आज भी अपनी bobo की कमी को महसूस करता है।

अर्ज किया है

वो रूठा रहे मुझ से,

यह मंजूर है, लेकिन,

यारों उसे समझाओ,

मेरा शहर ना छोड़ें।

...........दोस्तो इस कहानी का कोई अंत नहीं।।।।।। हम आपको उस हरेक पल का एहसास दिलवाएंगे, जिसे साजन ने अपने bobo और bobo ने अपने साजन के लिए महसूस किए थे।







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