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Date - 21 Jul 23
यह नियम प्ररित धारा कि दिशा को दर्शाता है, इस नियम का प्रतिपादन लेंज महोदय ने किया था, इसलिए इसे लेंज का नियम कहा जाता है। इस नियम के अनुसार, "प्रेरित धारा सदैव उस कारण का विरोध करती है, जिसकी वजह से वह उत्पन्न होती है।"
इसे इस प्रकार से समझा जा सकता है, जब किसी चुंबक के उतरी ध्रुव को कुंडली के समीप के समीप आपेक्षिक गति करायी जाती है, तो कुडंली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है, जिसकी दिशा एंटी क्लॉक वाइज होता है।
लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत का पालन करता है
लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत का पालन करता है, इसे इस प्रकार से स्पष्ट किया जाता है, कि जब किसी चुंबक को उतरी ध्रुव को कुंडली के समीप लाया जाता है, तो कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है, लेंज के नियम के अनुसार इसकी दिशा चुंबक के गति का विरोध करती है। यह तभी संभव है, जब कुडंली में प्रवाहित प्रेरित धारा कि दिशा घड़ी के विपरित दिशा में हो। इस स्थिति में कुछ ना कुछ कार्य संपादित होता है। जिससे कि यांत्रिक ऊर्जा का संचयन विद्युत ऊर्जा में होता है। इस प्रकार यह प्रमाणित होता है, कि लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के सिंद्धांत का पालन करता है।
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